संत रविदास जी का जन्म माघ पूर्णिमा तिथि के दिन हुआ था. इस दिन संत रविदास के अनुयायी बड़ी संख्या में उनके जन्म स्थान पर एकत्रित होकर भजन कीर्तन करते हैं. रविदास एक महान संत होने के साथ दर्शनशास्त्री, कवि, समाज-सुधारक और ईश्वर के अनुयायी थे. 16 फरवरी को संत रविदास जयंती मनाई जाएगी.
Shee Ravidas Jayanti 2022
रविदास जयंती 2022 तिथि – 16 फरवरी 2022, बुधवार पूर्णिमा तिथि की शुरुआत – 15 फरवरी 2022 को रात 09:16 से पूर्णिमा तिथि की समाप्ति – 16 फरवरी 2022 को रात 01:25 तक
रविदास जयंती 2022 तिथि – 16 फरवरी 2022, बुधवार पूर्णिमा तिथि की शुरुआत – 15 फरवरी 2022 को रात 09:16 से पूर्णिमा तिथि की समाप्ति – 16 फरवरी 2022 को रात 01:25 तक
रविदास जी के दोहे
रविदास’ जन्म के कारनै, होत न कोउ नीच। नर कूँ नीच करि डारि है, ओछे करम की कीच।
हिंदी अर्थ – रविदास जी कहते हैं कि मात्र जन्म के कारण कोई नीच नहीं बन जाता हैं लेकिन मनुष्य को वास्तव में नीच केवल उसके कर्म बनाते हैं.
रविदास जी के दोहे
रविदास’ जन्म के कारनै, होत न कोउ नीच। नर कूँ नीच करि डारि है, ओछे करम की कीच।
हिंदी अर्थ – रविदास जी कहते हैं कि मात्र जन्म के कारण कोई नीच नहीं बन जाता हैं लेकिन मनुष्य को वास्तव में नीच केवल उसके कर्म बनाते हैं.
“मन चंगा तो कठौती में गंगा”
हिंदी अर्थ – अगर आपका मन पवित्र है तो साक्षात ईश्वर आपके हृदय में निवास करते है.
“मन चंगा तो कठौती में गंगा”
हिंदी अर्थ – अगर आपका मन पवित्र है तो साक्षात ईश्वर आपके हृदय में निवास करते है.
हरि-सा हीरा छांड कै, करै आन की आस। ते नर जमपुर जाहिंगे, सत भाषै रविदास।।
हिंदी अर्थ – हरी के समान बहुमूल्य हीरे को छोड़ कर अन्य की आशा करने वाले अवश्य ही नरक जायेगें. यानि प्रभु भक्ति को छोड़ कर इधर-उधर भटकना व्यर्थ है.
हरि-सा हीरा छांड कै, करै आन की आस। ते नर जमपुर जाहिंगे, सत भाषै रविदास।।
हिंदी अर्थ – हरी के समान बहुमूल्य हीरे को छोड़ कर अन्य की आशा करने वाले अवश्य ही नरक जायेगें. यानि प्रभु भक्ति को छोड़ कर इधर-उधर भटकना व्यर्थ है.